कभी कोई और भी सही हो सकता है।

 

 




  दोस्तों जब कभी किसीसे तकरार हो जाये, तो उसे तुरंतही निपटा लेना चाहिए, मैं ही सही हूं , वह गलत हैं उसे कुछ नहीं पता, ऐसी सोच रखनेके बजाय हर किसीके सोचकी कदर की जाय तो कभी कही तकरार की गुंजाइश ही नही रहेगी।

 कभी कोई और भी सही हो सकता है, यह सोच कर चले तो तकरार ही ना हो।

धन्यवाद। 

Sandhya 

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